अति शुभ है मंगल चिन्ह – पंचागुलक
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्।।
हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि हाथों में ब्रह्मा, लक्ष्मी और सरस्वती, तीनों का वास होता है।
पंचा गुल्लक दाहिना हाथ की पांचों अंगुलियों की छाप पंच तत्व का प्रतीक व 5 की संख्या का घोतक होने के कारण पंचा गुल्लक को शुभ मांगलिक प्रतीक माना गया है।
दैनिक जीवन के विभिन्न मांगलिक अवसरों जैसे विवाह ,गृह प्रवेश ,पुत्र जन्म आदि पर हल्दी व चावल की पंचागुल छापने की परंपरा है।
यह पंचायत पंच तत्व का प्रतीक है जिन से शरीर का निर्माण होता है । मृत्यु के पश्चात ये तत्व पुन:अपनी स्वतंत्र व प्राकृतिक अवस्था में आ जाते हैं । पंचतत्व की निरंतरता अनश्वरता का घोतक है।हाथ क्रम का प्रतीक है।
हमारी सारीगतिविधियां हाथ के ही सहयोग से संभव है चाहे वह अलौकिक कर्म, जीविकोपार्जन हो या पारलौकिक ।
देवताओं की अभय मुद्रा का यही रूप है । व धर्म में तो भगवान बुध की विभिन्न मनोदशा वह महत्वपूर्ण घटनाओं को हस्त मुद्राओं से ही दिखाया गया है । आज भी प्रात उठकर अपनी हथेली को देखना अति शुभ माना गया है।
इसके अतिरिक्त 5 अंक का भारतीय सांस्कृतिक जीवन में विशिष्ट योगदान है जैसे हिंदू संस्कृति में पंचामृत , सिख धर्म में पंच परमेश्वर आदि व अन्य धर्मों में भी में शुभ माना गया है ।
पंचागुल चिन्ह घर के मुख्य द्वार पर पंचागुल को लगाया जाता हैं । इसकी स्थापना से सुख समृद्धि प्राप्त होती हैं।