उपवास एक औषधी भी
आज के समय को देखते हुए हमारे ऋषि मुनियों ,वैद्यों, महापुरुषों ने स्वास्थ्य के प्रतिसजग रहने के लिए उपवास को एक सर्वोत्तम साधन बताया है। उपवास को लेकर आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता अन्य आदि में भी इस बात की पुष्टि करअनेक लाभ बताए है।
आज के विभिन्न चिकित्सा शोधों में भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं।भारतीय संस्कृति में उपवास का अपना एक धार्मिक महत्व भी है ।भारतीयमनीषियों ने शौर्य बल आदि प्राप्त करने ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करने अधिकारियों में उपवास को माध्यम बनाया है ।इन्हीं बातों को जान कर आज भी हमारे देश की संस्कृति में इसका एक विशेष स्थान है।
साधारण उपवास का अर्थ भोजन को ना ग्रहण करने से हैं। किन्तु वास्तविक अर्थ किसी उद्देश्य आदि की पूर्ति हेतुसर्वोच्च शक्ति के प्रति अपनी आस्था या रोक आदि से मुक्त होना भी हो सकता है।
शरीर वैज्ञानिक चिकित्सक मानते हैं कि उपवास का चिकित्सीय महत्व भी है ।उनका मानना है सप्ताह मेंकम से कम एक बार उपवासरखने से पाचन तंत्र मजबूत होता है ।भोजन के न पचने से अनेक व्याधियों जैसे कब्ज,अमल पित, गैस बनना , मोटापा आदि जन्म लेने लगते हैं ।इन सबसे छुटकारा पाने के लिएशरीर वैज्ञानिक उपवास की सलाह देते हैं।
उपवास रखने से प्राप्त होने वाले लाभ का व्यापक प्रभाव हमारे तन और मन दोनों पर पड़ता है ।कई विद्वान इसे तपस्याका अंग एवं सुखी जीवन का रहस्य भी बताते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उपवास रोगों के लिए महासती है ।इससे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों का निष्कासनआसानी से हो जाता है ।यही नहीं अनुसंधानों का यह भी कहना है कि दुर्बलता, भूख न लगना सांस फूलना, आमाशय संबंधी बीमारियां तो दूर होती ही है साथ ही कब्ज और संग्रहणीय ,बवासीर जैसी बीमारियों में लाभ होता है ।उपवास से मोटापा भी नियंत्रण में रहता है। हृदय की धमनियां लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं क्योंकि हरसप्ताह उपवास रखने से कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा घटने लगती है।
सावधानियां
एक दो दिन का उपवास तो ठीक है, किन्तु अधिक दिनों का उपवास चिकित्सक की देखरेख में रखें।
रोगी ,वृद्ध ,बालक बीमारियों से दुबले ,गर्भवती व स्तन पान करने वाली स्त्रियों को लंबे समय तकउपवास नहीं करना चाहिए।
उपवास के दौरान दूध मौसमी फल ,मट्ठा ,हरी सब्जियां सलाद, आगे हल्के एवं संतुलित भोजन ही लें भारी वह देर से बचने वाले भोजन से दूर रहे ।