कछु इनकी भी सुन लीजे…
।।कविता।।
“चुनावी चक्रम”
अब गली गली जो घूम रहे हैं लेकर बैनर अपने नाम का,
फिर टैक्स लगेंगे महंगाई बढ़ेगी ये चूसंगे खून आवाम का,
झूठे वादे सुरीले भाषण जमकर खुद की तारीफ करेंगे,
फिर जाति धर्म के चर्चे होंगे और जयकारा श्री राम का,
पैसा पानी पानी कर रहे हैं है इज्जत दांव पर लगी हुई,
हाथ जोड़े आज हर दर पर खड़े हैं उन्हें वक्त नहीं आ राम का, खर्चे पानी और हाथ जोड़ी की कीमत खूब वसूल लेंगे
है, यह उनका सुंदर सपना रात दिन सुबह और शाम का
जी भर के दर्शन कर लो वरना दर्शन दुर्लभ हो जाएंगे
वक्त निकलने पर बात ना करेंगे है, वादा यह धीमान का
एक दिन के राजा हो तुम फिर यह राजा कहलाएंगे
सोच समझ कर फैसला करना तुम इन नेताओं के अंजाम का सारे जरूरी काम छोड़ कर तुम्हें वोट डालने जाना है,
अपनी पसंद से नेता चुनने का मौका है यह बड़े काम का
रचीयता पुष्पराज धीमान