कुंभ नगरी में भी नहीं इमारतों के मानक पूरे औपचारिक भर ही फायर सिस्टम लगा कर की जाती है इतिश्री
अनिल बिष्ट
गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत में बीते दिन शुक्रवार को एक कमर्शियल काॅम्प्लेक्स में आग लगने से 21 बच्चों की मौत हो गई। 20 बच्चे जिंदा जल गए और एक बच्चे की कूदने से मौत हुई है। इस हृदय विदारक घटना से अंतर्मन दुखी हैं। इस घटना ने आत्मा को झकझोर कर दिया हैं। दुखी होने के साथ ही भ्रष्टचार में डूबे सिस्टम पर गुस्सा भी आ रहा हैं। पैसा कमाने की होड़ ने लोगों को इतना अंधा कर दिया हैं कि लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इनमें दोषी कोई एक नहीं दोषी वो सिस्टम में बैठे लोग भी हैं जिन्हें काॅम्पलेक्स में अवैध रूप से बनी उपरी मंजिल घटना के बाद नजर आ रही हैं। जब बन रही थी तब क्या डपलपमेंट अथाॅरिटी की आंखे फूटी हुई थी ? अग्नि सुरक्षा की जांच करने वाले अग्नि शमन अधिकारी कहां सोए हुए थे? क्योंकि इस तरह के काॅम्पलेक्स व होटल आदि के निर्माण डवलपमेंट अथाॅरिटी के साथ-साथ में फायर विभाग की एनओसी लेना जरूरी हैं। लेकिन उपर से नीचे तक भ्रष्टाचार इस कदर हावी हैं कि पैसे के आगे सब नियम, कायदे ,कानून दर किनार कर दिए जाते हैं। इनकी लापरवाही से किसी जान जाती है तो जाए इनके बाप का इसमें क्या जाता हैं ? शर्म आनी चाहिए उन नीति नियन्ता को जो घटना को मात्र दुख प्रकट करके अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते हैं। घटना के बाद सरकारी तौर पर औपचारिकतावश जांच बैठाई जाती हैं, मुआवजे की घोषणा होती हैं, लोग कुछ दिनों में घटना को भूल जाते हैं और जांच फाईल पर लीपापोती कर फाईल ठण्डे बस्ते में डाल दी जाती हैं। आश्चर्य की बात हैं इतनी बड़ी लापरवाही से डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई और सिस्टम गैरइरादतन का हत्या का मुकदमा दर्ज कर रहा हैं। लानत हैं ऐसे सिस्टम पर, जो प्रायोजित तरीके से की गई हत्या को गैर इरादतन हत्या के मामले में तब्दील कर रहा हैं। कोचिंग संचालक के साथ ही साथ इन बच्चों का हत्यारा वो सिस्टम भी हैं। जिन्होंने अपनी मौजूदगी में अवैध काॅम्पलेक्स मे न सिर्फ अनाधिकृत निर्माण को खुली छूट दे दी बल्कि विभागीय नियम व कानून की खुलेआम धज्जियां उड़वा दी। इस घटना में बड़ी लापरवाही के लिए अग्निशमन विभागीय अधिकारी भी खासे जिम्मेदार हैं। जिनके पास आग बुझाने और लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त उपकरण और संशाधन ही उपलब्ध नहीं है। सरकार बात करती हैंे विकास की कि देश में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा हैं। यहां तो बच्चों की जान बचाने के लिए अग्निशमन विभाग सीढ़ी तक उपलब्ध नहीं करवा पाया और बच्चों को जान बचाने के लिए चैथी मंजिल से कूदना पड़ा। जिन परिवारों का भविष्य भ्रष्ट सिस्टम की लापरवाही की भेंट चढ़ गया, कई घरों के चिराग बुझ गए हैं वो अपना दुखड़ा और दर्द लेकर किसके पास जाए? किससे न्याय मांगे ? जो अभिवाभक अपने बच्चों का कोचिंग से लौटने का इंतजार कर रहे थे, इंतजार ही करते रह गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद उनकी मनोदशा क्या होगी ? इसकी कल्पना करते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। वो एक-एक बच्चा इस देश का भविष्य था। क्या-क्या सपने देेखे होंगे उन बच्चों व बच्चों के मां बाप ने भविष्य को लेकर ? आखिर कोई बताऐगा क्या गलती उन मासूमों की ?
आप भी लें घटना से सबक !
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इस दर्द विदारक घटना से उन सभी अभिवाभकों को भी सबक लेने की आवश्यकता हैं जो कोचिंग सेन्टरों में अपने लाडलों को कोचिंग व स्कूलों में शिक्षा ग्रहण आदि के लिए भेजते हैं। अभिवाभक उन कोचिंग सेंटर व स्कूल संचालकों से कोचिंग क्लास व स्कूल फीस भरने तक ही सिमित न रहें वह बच्वों की सुरक्षा संबंधी संशाधन व उपकरणों को भी जांचने के साथ जानकारी ले। इन संचालकों से बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल -जबाब करें और जागरूक अभिवाभक बनें।
कोचिंग सेंटरों पर न तो अग्निसुरक्षा के संशाधन और न ही पूर्ण हैं डवलपमेंट अथाॅरिटी के मानक-
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बता दें जिस सूरत में जिस काॅम्प्लेक्स में आग लगी हैं वह कागजों में तीन मंजिला है। इसमें जिम, फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट, नर्सिंग होम समेत कई शाॅपिंग सेंटर्स हैं। इसकी चैथी मंजिल अवैध है। हरिद्वार शहर में भी ऐसी ही कई वृहद निर्माण हैं जिनमें न अग्नि सुरक्षा संबंधी उपाय ही किए गए हैं और न ही निर्माण किए जाने में एचआरडीए से संबंधित मानकों का पालन होता दिखाई देता। यह जांच आधारित विषय हैं। शहर भर में ऐसे सैकड़ों अवैध निर्माण हैं जिनमें काॅमर्शियल गतिविधियां संचालित होती हैं। लेकिन बावजूद इसके संबंधित विभाग व संबंधित अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़वा देकर ,लोगों की जीवन से खिलवाड़ करने पर तुले हैं।