कुम्भनगर में कारोबार करोड़ो में, यात्रियों को सुविधा शून्य

प्रशांत शर्मा

हरिद्वार। यात्रा सीजन स्नान और अन्य धार्मिक आयोजनों से जहां व्यापारी वर्ग को लाखों-करोड़ों की इनकम होती है। वही बाहर से आने वाले यात्रियों को सुविधा के नाम पर ना तो पेड़ की छांव है न पीने का पानी नहीं। धर्म नगरी में साल में बड़े छोटे मिलाकर करीब 40 धार्मिक आयोजन होते हैं। जिससे स्थानीय व्यापारी करोड़ों का व्यापार कारोबार भी इन यात्रियों से करते हैं लेकिन उसके बावजूद धार्मिक आस्था के साथ धर्म नगरी में आने वाले यात्रियों को सुविधा के नाम पर केवल और केवल गंगा स्नान की प्राप्ति है। बीते सोमती अमावसया पर अनुमान से कंही अधिक आई भीड़ के कारण प्रशासन की सभी व्यवस्थाएं धराशाई हो गई। प्रशासन के अनुसार 57लाख से अधिक की संख्या में यात्रियों ने डुबकी लगाई। यदि प्रति यात्री कम से कम ₹500 का भी खर्चा किया गया हो तो संख्या करोड़ों में आती है। बावजूद इसके धार्मिक आस्था के केंद्र कुम्भ नगर हरिद्वार में यात्रियों की सुविधा के नाम पर कोई भी सुविधा नहीं दी जाती है। उत्तराखंड प्रदेश अस्तित्व में आने के बाद हरिद्वार प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाला शहर बन चुका है। सिडकुल से जहां करोड़ों रुपए सालाना प्रदेश सरकार को मिलता है वही करोड़ों का राजस्व हरिद्वार के व्यापारियों से भी राज्य सरकार को मिलता है। बावजूद इसके प्रदेश में सबसे दयनीय स्थिति वर्तमान में कुंभनगरी की है, जिसका सबसे बड़ा ग्रहण सालों से अधूरा पड़ा हाईवे है जो सीधे देश की राजधानी से हरिद्वार हरकीपेडी तक यात्रियों को पहुंचाने में मदद करता है। लेकिन नेशनल हाईवे पूरा ना होने के कारण यात्रियों के अलावा स्थानीय जनता को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। गर्मियों की छुट्टी और गंगा स्नान का लुत्फ हर कोई उठाना चाहता है। जिस कारण धर्म नगरी में यात्रा सीजन के साथ-साथ हर वीकेंड पर यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है, और अधूरा पड़ा हाईवे भी भीड़ के कारण बंद हो जाता है। यात्रियों को चलाते रहने के लिए शहर के अंदर भेज दिया जाता है या वे स्वयं आ जाते हैं, और फिर पूरे शहर की व्यवस्था रामभरोसे हो जाती है। शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर 2010 के कुंभ मेले से पूर्व शहर में छांव देने वाले दशकों पुराने बड़े-बड़े वृक्षों को काट दिया गया था जो बचे उन्हें मॉडर्न सिटी बनाने वाले कंपलेक्स के स्वामियों ने रातों-रात ठिकाने लगा दिया। तो हजारो वृक्षो को भूमाफियाओं ने सांठगांठ कर काट डाला और कालोनियां काट दी। सोमवती अमावस्या पर 44 डिग्री के तापमान पर हाईवे में गाड़ियों फंसे यात्रियों को ना तो चिलचिलाती धूप में पेड़ की छांव में पीने के पानी का हैंडपंप न ही स्टैंड पोस्ट मिले। शहर के तारणहार जनप्रतिनिधियों जनता को हजारों करोड़ की योजनाओं की मरीचिका और स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर सिर्फ और सिर्फ अपनी जड़ों को सींचने में लगे हैं।