क्या है गोपी चंदन का महत्व

 

पदम् पुराण में वर्णन है जहां गोपीचंदन रहता  है वह घर तीर्थ स्वरुप है यह भगवान विष्णु का कथन है  ।जिस  के घर में गोपी चंदन मौजूद रहता है वहां   शोक मुंह तथा अमंगल नहीं होते ।  जिसके घर में रात दिन गोपीचंदन प्रस्तुत रहता है  उसके पूर्वज सुखी होते हैं । अतः सदा उसकी संतति बढ़ती है । गोपी तालाव से उत्पन्न होने वाली मिट्टी परम पवित्र एवं शरीर का शोधन करने वाली है । देह में उसका लेप करने से सारे रोग नष्ट होते हैं । तथा मानसिक चिंताएं भी दूर हो जाती हैं । अतः पुरुषों द्वारा शरीर में धारण किया हुआ गोपीचंदन संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है । इसका ध्यान और पूजन करना चाहिए यह मल-दोष का विनाश करने वाला है ।  इसके स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है । यह अंत काल में मनुष्य के लिए मुक्तिदाता एवं परम पावन है । पदम पुराण में वर्णन है । महादेव बता रहे हैं गोपीचंदन मोक्ष प्रदान करने वाला है । भगवान विष्णु का प्रिय तुलसी कास्ठ ,उसके मूल की मिट्टी, गोपी चंदन तथा हरिचंदन इन चारों को एक में मिलाकर विद्वान पुरुष अपने शरीर में लगावे जो ऐसा करता है उसके द्वारा जंबूदीप के समस्त तीर्थों का सदा के लिए सेवन हो जाता है । जो गोपी चंदन को घिसकर कर उसका तिलक लगाता है वह सब पापों से मुक्त हो श्री विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है ।.जिस पुरुष ने गोपीचंदन धारण कर लिया उसके उसने मानो गया में जाकर अपने पिता का श्राद्ध तर्पण आदि सब कुछ कर लिया।

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