जानिए क्या कहती हैं हाथ की रेखाएं
भारत ही नहीं पाश्चात्य देशों में भी और Palmistry का प्रचलन है। ज्योतिषी मानते हैं कि हस्तरेखा विज्ञान से किसी भी व्यक्ति के भूत भविष्य वर्तमान और उसकी प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है ।
ज्योतिष और हस्तरेखा विज्ञान में मूलभूत अंतर यह है कि ज्योतिष में कुंडली के आधार पर व्यक्ति के बारे में बताया जाता है और दूसरे में हस्त रेखाओं के आधार पर । यह संभव नहीं है कि किन्हीं दो व्यक्तियों के हाथ की रेखाएं समान हो ।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार प्रमुख रेखाएं हैं जीवन रेखा ,मस्तिष्क रेखा , हृदय रेखा और भाग्य रेखा। छोटी रेखाओं में आती है विद्या रेखा , विवाह रेखा , संतान रेखा , यात्रा रेखा , चिंता रेखा ।
हस्तरेखाविद दाहिनी और बाई दोनों हथेलियों को देखते हैं। बाई हथेली यह स्पष्ट करती है कि हम अपने भाग्य में क्या लेकर आए है। और दाई से यह पता चलता है कि अपने कर्मों से हमने अब तक क्या कुछ प्राप्त किया है । फल का निर्धारण हस्तरेखा विज्ञान को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें उल्लेखनीय है।
किसी भी रेखा का स्वरूप उसके फल को निर्धारित करता है ।यदि किसी रेखा पर क्रास चिन्ह है वह कहीं से कटी तो उस पर कहीं द्वीप भी बना है तो यह सब उस रेखां के विरुद्ध मान जाती है ।
मूल रूप से हाथ को 7 भागों में बांटा गया है। आरंभिक हाथ, वर्गाकार हाथ , दार्शनिक हाथ, कर्मठ हाथ, मिश्रित हाथ कलात्मक हाथ , आदर्श हाथ। कलात्मक हाथ- ऐसा हाथ पतला कोमल और लंबा होता है । हाथ की उंगलियां भी लंबी पतली सुंदर होती है । नाखून भी लंबे बादामी या गुलाबी रंग के आकार के होते हैं ।
कर्म निष्ठ हाथ ऐसा हाथ अस्त-व्यस्त एवं वेडोल आकार का होता है। हाथ में आगे का भाग फैला हुआ होता है तथा अंगुलिया भी मोटी व फैली हुई होती हैं। मणिबंध के निकट का भाग भारी और अग्रभाग हल्का होता है । हथेली मासल होने के साथ-साथ कठोर भी होती हैं । ऐसे हाथ वाला जातक कभी भी पुरानीवादी नहीं होता है । कठोर से कठोर परिस्थिति का डटकर मुकाबला करता है ।
जीवन रेखा पर यदि ऐसा कोई चिन्ह होगा जिस पर द्विप या क्रॉस का चिन्ह है तो वह घोर बीमारी का सूचक होगा ।
यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा अपने उद्गम स्थान पर एक साथ नहीं मिलती तो वह व्यक्ति क्रांतिकारी स्वभाव का होता है ।ऐसे लोग ही समाज के बंधनों को तोड़कर कुछ भी कर सकते हैं।