जानिए मछलियां होती है बहुत बड़ा शगुन

पुराणिक मतानुसार मीन विष्णु भगवान का प्रथम अवतार है। प्रलय काल में भी इसी ने नाव के रूप में मनु व सृष्टि की रक्षा की । कामदेव की पताका में इसकी उपस्थिति के कारण कामदेव मीन ध्वज भी कहा गया ।

मीन युग्म (मछलियों का जोड़ा )होता है बढ़ा शुभ शगुन ज्योतिष में 12 राशियों में भी मीन को स्थान दिया गया हैं।

साहित्यकारों ,उपन्यास कारों, गीत करो ने मीन की उपमा आंखों से की है।

बाणौ से मछली की आंख बेधने का वर्णन पुराण आदि में मिलता है । श्रृंगार , नाटक, कविता, फिल्मों आदि में भी मीन रूपी बाण चलने का चलने पर कई गीत, कथाएं ,नाटक आदि बने है।

ज्योतिष और वास्तुशास्त्री मानते हैं कि मछलियां घर में हों और इनकी देखभाल सही ढंग से की जाए, तो घर में खुशहाली बढ़ती हैं और छोटी-बड़ी हर बला टल जाती है।घर में मछलियां होने से आपकी छोटी-बड़ी परेशानी ये अपने उपर ले लेती हैं।

एक्वेरियम में यदि कोई मछली मर जाए, तो ज्योतिषीय दृष्टि से यही माना जाता है कि आपकी कुंडली में ग्रह था। जिसके खराब योग आपको नुकसान पहुंचाने जा रहे थे।

शोभा सफलता सौभाग्य व शुभ शकुन के रूप में दो मछलियों का पुण्य युग्म एक प्रतिष्ठित मांगलिक प्रतीक है। मीन सदैव से निश्चल निष्कपट व सच्चे प्रेम का प्रतीक है।

यात्रा आरंभ करने से पूर्व या घर से जाने से पूर्व मत्स्य दर्शन कार्य सफलता का सर्वोत्तम शुभ शकुन माना गया है । यदि उनका दर्शन संभव ना हो तो केवल नाम मात्र के उच्चारण से ही कार्य की सफलता निश्चित है। इसी कारण लोगों ने घरों के दरवाजों पर मीन युग्म अंकित करवाएं जिससे कि सदैव इनका का दर्शन हो ।

स्त्रियों के कानों में कुंडल का प्रचलन इसके मांगलिक स्वरूप का भी द्योतक है। कला में भी प्राय: सभी कालों में पाया जाता रहा है।चाहे वह सांची के स्तूप का अष्ट मांगलिक हार हो या आज के समय में ड्राइंग रूम मे एक्वेरियम। सदैव से ही मीन शुभ शगुन के रूप में माना जाता रहा है।