जानें क्या है क्वालिटी टाइम
समय बदला है तो बदलाव की लहर तो हर क्षेत्र में आई है । वर्तमान परिस्थितियों में माता पिता की व्यस्तताओं के बदलेचलते उनके पास जो वक्त बचता है उन्हें इसी को उपयोगी रूप में बच्चों पर खर्च करना होता है ।उनकी परवरिश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यहां अपने शौक को तो कुछ अरसे के लिए स्थगित करने ही होंगे । आप कला फिल्म में एडल्ट मूवीज बच्चों के साथ बैठकर नहीं देख सकते ।
आज कल ये शब्द क्वालिटी टाइम बहुत सुनने में आते हैं । इसे एक दो वाक्यों में परिभाषित नहीं किया जा सकता ।सर्वप्रथम हमें यह देखना होगा कि यह शब्द अस्तित्व में कैसे आया इसकेपीछे क्या कारण हैै ।
एकांकी परिवारों के बढ़ने से बच्चों के पुराने साथी और संरक्षक दादा दगांधी चाचा चाची ताऊ ताई बुआ आदी रिश्ते बच्चों के जीवन से दूर हो गए हैं ।बच्चे इन रिश्तों से अनजान होते जा रहे हैं।आज कल माँ ही वन इन ऑल की भूमिका निभाते हुए तनावों से जूझ रही है । वहीं दूसरी ओर पिता आज के प्रतियोगी समाज में एक अंधी होड़ में बेतहाशा लीन हैं। आज कल लाइफ स्टाइल पागल कर देने वाला है । बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा एडवर्स इफेक्ट हो रहा है ।
अब रिश्ते नाम के रह गए हैं दादा दादी नाना नानी अब बोझ लगते हैं । मॉडन लाइफ स्टाइल में में वे फिट नहीं बैठते । जब वह कभी कभी मिलते हैं तो बच्चे बड़े रूखेपन वह अजनबी की तरह मिलते हैं ।
क्वालिटी टाइम का अर्थ है ऊर्जावान और उपयोगी से बातचीत करना कम्युनिकेशन इज ए मस्ट । इससे बच्चों में जहां आत्मविश्वास बढ़ता है , सुरक्षा की भावना मजबूत होती हैं । बच्चों को सही दिशा मिलती है ।
इस तरह बच्चों के साथ गुजरे वक्त के दूरगामी परिणाम होते हैं जो माता पिता और बच्चों दोनों के हक में फायदेमंद होते हैं । बच्चों का ठोस व्यक्तित्व बनता है और माता- पिता को अपने कर्तव्य निभा पाने का संतोष ।
बच्चों की मासूम दुनिया निराली होती है । उसमें प्रवेश करने के लिए कोई टिकट नहीं लगता बस अपने दायरे से बाहर निकल आना चाहिए। तभी वहां प्रवेश कर पाएंगे। बच्चों से उनकी कंपनी उनकी एक्टिविटीज जो उनके दिमाग में हो रही हलचल में रुचि लें उन्हें अपना साथी बनाए। उनके साथी बने । बातों बातों में उन्हें दुनियादारी सिखाएं ज्ञान दें उन्हें रिसेशन के लिए प्रेरित करें ।
उन्हें यह जताएं कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं ।उनकी रुचियों को समझो उसमें उन्हें आगे बढ़ने के मौके प्रदान करें। भरपूर प्रशंसा कर उनका हौसला बढ़ाएं। उनकी रचनात्मक सोच विकसित करने के लिए उन्हें उन कार्यों में इन्वॉल्व करें जिनमें योजना बनाना समस्या सुलझाना निर्णय लेना जैसी बातें शामिल हो ।वक्त भले ही सीमित हो आपके पास इसे बच्चों के साथ शिद्दत से सेंट परसेंट साथ देकर गुजारे ।