दस महीने और 1142 एनकाउंटरः उत्तेर प्रदेश
यूपी में करीब-करीब हर शहर, जिला और कस्बा के पुलिस अफसर बदल दिए गए. थाने-चौकी तक को उलट-पलट दिया गया. खुद योगी जी ने अलग-अलग मंच से गुंडों को सीधे ललकारा. कभी दो महीने तो कभी चार महीने में यूपी से जुर्म और मुजरिमों का सफाया कर देने के दावे किए. पर यूपी से जुर्म तो खत्म नहीं हुआ अलबत्ता पुलिसवालों को एनकाउंटर करने की सरकारी छूट ज़रूर मिल गई. नतीजा ये है कि पिछले दस महीने में य़ूपी में करीब 1200 एनकाउंटर हो चुके हैं. पर जिस तरह नोएडा के एक शख्स को यूपी पुलिस ने गोली मार कर एनकाउंटर का जामा पहनाने की कोशिश की है, उससे पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं.
यूपी में 20 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 यानी पिछले दस महीने में 1142 एनकाउंटर किए गए. जिनमें 34 आरोपी अपराधियों की मौत हो गई. 265 आरोपी अपराधी घायल हुए और 2744 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इस मुठभेड़ों के दौरान चार पुलिस वालों की भी मौत हुई.
पूरे यूपी में जारी ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बीच नोएडा के सेक्टर 122 से आई एक तस्वीर पर बवाल मच मचा हुआ है. पहले पुलिस ने इसे एनकाउंटर का नाम देने की कोशिश की थी. लेकिन महज कुछ घंटों के अंदर साबित हो गया कि ये एनकाउंटर फर्जी था. लिहाज़ा मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस ने लीपा-पोती करनी शुरू कर दी है. और जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव को गोली मारने वाले दरोगा विजय दर्शन को गिरफ्तार करने के साथ ही निलंबित कर दिया गया.
योगी राज में सिर्फ पिछले दस महीनों में अब तक यूपी में करीब 12 सौ मुठभेड़ हो चुकी हैं. अब तो संसद में भी यूपी के ये ताबड़तोड़ एनकाउंटर बहस का मुद्दा बन गए हैं. समाजवादी पार्टी के इल्ज़ाम इस मामले में काफी संगीन हैं. पार्टी के नेता इसे न सिर्फ सरकार की निगरानी में सरकारी हत्या करार दे रहे हैं. बल्कि योगी के कार्यकाल में हुए तमाम एनकाउंटर की सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे हैं.