धर्म नगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब 57 लाख से अधिक श्रद्धालुओ ने लगाई गंगा में डुबकी
हरिद्वार। सोमवती अमावस्या हरिद्वार के मुख्य घाट हर की पौड़ी के साथ साथ हरिद्वार के अन्य गंगा घाटों पर भी श्रद्धालु भक्तों ने गंगा स्नान के साथ ही पूजा-अर्चना की साथ ही दान देकर पुण्य भी अर्जित किया।
धर्म नगरी हरिद्वार में सोमवार को अमावस्या आने पर इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है साथ ही आज वट अमावस्या होने के चलते हरिद्वार में श्रद्धालु भक्तों को कैमेड रविवार से ही आनी शुरू हो गई थी सोमवार सुबह ब्रह्मा मुहूर्त के साथ गंगा स्नान गंगा मैया के जयघोष के बीच शुरू हो गया था। और ज्यों-ज्यों दिन चढ़ता गया श्रद्धालु भक्तों की भीड़ बढ़ती रही सोमवती अमावस्या के स्नान पर उत्तराखंड के अलावा हिमाचल उत्तर प्रदेश दिल्ली हरियाणा पंजाब राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात और अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु भक्तों मैं गंगा स्नान के लिए धर्मनगरी हरिद्वार का रुख किया हुआ था। जिला प्रशासन ने सोमवती अमावस्या के स्नान के लिये आने वाले श्रद्धालुओ की अनुमानित संख्या 57 लाख की पुष्टि की है।
जून माह में आने वाली आज की सोमती अमावस्या हरिद्वार वासियों को भी हमेशा याद रहेगी स्थानीय लोगों की मानें तो इतनी भीड़ उन्होंने कभी कुम्भ मेले में भी एक साथ नही देखी है। शहर के हर क्षेत्र में गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के जमावड़े लगे थे। व्यवस्थाएं के अनुसार श्रद्धालुओं के वाहनों को शहर से करीब 10 किलोमीटर पहले ओर उससे भी अधिक दूरी पर रोक गया। जीरो जॉन का क्षेत्र बढ़ाकर चंद्राचार्य चोक मध्य हरिद्वार तक किया गया। हरिद्वार आने वाले सभी रास्ते हाईवे के अलावा शहर के अंदर भी बाहर की गाड़ियां और लोग ही नजर आ रहे थे देखने वाले आश्चर्यचकित हैं लक्सर की तरफ से आने वाले लोगों का कहना था कि बाहर से आने वाली गाड़ियां फेरूपुर तक लाइन लगाकर खड़े हैं जो हरिद्वार से करीब 8 किलोमीटर दूर पड़ता है वही शिवालिक नगर बीएचएल की ओर से आने वाले लोगों का कहना था कि बाहरी गाड़ियां सेक्टर 4 बाजार में भी पार्क की गई है। उसके अलावा रास्तों में भी कई जगह उन्हें सड़क के किनारे बाहरी नंबर की गाड़ियां पार्क हुई मिली भगत सिंह चौक सेक्टर 2 तक सड़क के दोनों किनारों पर गाड़ियां की गाड़ियां लगी हुई थी वही शंकर आश्रम तिराहा से देवपुरा चौक तक भी गाड़ियों का रेला था नहीं रहा था जबकि नेशनल हाइवे 58 पूरी तरह गाड़ियों से अटा पड़ा था।