धार्मिक परंपरा के नाम पर बेजुबानों की हत्या पर रोक लगाने की की मांग, जाने किसका दिया हवाला
हरिद्वार।
पशु क्रूरता निवारण समिति की सदस्य डॉ पुनीता बाजपेई ने जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर ईद-उल-जुहा बकरीद पर धार्मिक परंपरा के नाम पर जानवरों की हत्या पर रोक लगाए जाने की मांग की है। इस बाबत उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि कुर्बानी के नाम पर पशुओं की हत्या किया जाना वास्तव में न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी के नाम पर पशुओं की अलग-अलग जगह या सामूहिक रूप से हत्या किए जाने से पशुओं का रक्त और मांस जगह-जगह फैलने से गंदगी के कारण प्रदूषण होता है। जो जन सामान्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उक्त आदेश में किसी भी संप्रदाय समुदाय द्वारा धर्म देवी देवता पंथ मजहब के तहत धर्म के नाम पर की जाने वाली पशु बलि पशुओं की हत्या पशुओं को जान से मारने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में ही देव भूमि उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों धार्मिक स्थलों में पशु हत्या पशु बलि की कुप्रथा को पुलिस प्रशासन व स्थानीय प्रशासन द्वारा हमेशा हमेशा के लिए समाप्त करा दिया गया है उन्होंने कहा कि यदि धर्म के नाम पर बहुत ही आवश्यक हो तो इसको प्रतीकात्मक रूप में भी किया जा सकता है लेकिन असंख्य पशुओं का धर्म के नाम पर वध किया जाना निश्चित रूप से गलत है।