पूरे साल के चतुर्थी व्रत सिर्फ एक दिन में : जानिए ‘अंगारकी चतुर्थी’

                  गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्.
                  उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्..

                                   

हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि होती है. पूर्णिमा के बाद यानि कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते है जबकि अमावस्या के बाद यानि शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते है. मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से गणेश चतुर्थी को ‘अंगारकी चतुर्थी’ कहा जाता है. यह दुर्लभ संयोग है कि  इस बार अंगारकी चतुर्थी जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, वैशाख कृष्ण तृतीया, मंगलवार 3 अप्रैल 2018  को है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी अंगारकी चतुर्थी का व्रत करता है, उसे पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत का फल मिलता है.

ऐसा भी कहा जाता है कि अंगारकी चतुर्थी के व्रत को करने वाले मनुष्य को उसके सभी कार्यों में आ रही परेशानियों और दिक्कतों से मुक्ति मिल जाती है. वास्तव में भगवान गणेश ने मंगलदेव की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि जब मंगलवार के दिन चतुर्थी पड़ेगी उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा.

अंगारकी चतुर्थी व्रत रखने वाले इस दिन सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. इसके बाद  विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें, जिसमें गणपति के ऊपर धूप-दीप, पुष्प, दुर्वा और यथा संभव मेवा अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग भी लगाएं.