फर्जी एनकाउंटर में 7 पुलिस वालों को उम्रकैद: उत्तराखंड

दिल्ली हाईकोर्ट ने 4 साल की लंबी सुनवाई के बाद उत्तराखंड में 2009 में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. हाई कोर्ट ने हालांकि दिल्ली की एक निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए 11 अन्य पुलिसकर्मियों को सबूत के अभाव में दोषमुक्त कर दिया.दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने इस केस में फैसला सुनाते हुए 6 जून 2014 को 22 आरोपी पुलिसकर्मियों में से 18 को हत्या, अपहरण, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने का दोषी करार दिया था और सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उत्तराखंड पुलिस की संलिप्तता के चलते इस केस की जांच सीबीआई से करवाई गई थी.

गौरतलब है कि 3 जुलाई 2009 को पुलिसकर्मियों ने इस फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया. पुलिस ने गाजियाबाद के रहने वाले 22 साल के एमबीए के छात्र रणवीर सिंह की देहरादून में गोली मारकर हत्या कर दी थी और इसे एनकाउंटर का रंग देने की कोशिश की थी.

पुलिस हालांकि कोर्ट में यह साबित करने में नाकाम रही कि रणवीर वहां किसी वारदात को अंजाम देने आया था. निचली अदालत ने 18 पुलिसकर्मियों को इस फर्जी एनकाउंटर का दोषी पाया था, हालांकि हाईकोर्ट ने 11 पुलिस वालों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. दोषी करार दिए गए सात पुलिसकर्मियों के पास हालांकि अब हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का रास्ता बचा हुआ है.

रणवीर के पिता रवींद्र सिंह की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया था. रवींद्र सिंह ने हालांकि हाईकोर्ट के फ़ैसले पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि अभी तक उन्हें इस निर्णय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. साथ ही उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे को न्याय दिलाने की लड़ाई आगे भी जारी

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