बच्चों की शरारतों को न करें नजरंदाज : रखें सावधानी

                                      

भारतीय संस्कृति में बाल रूप को बहुत महत्व दिया है माता-पिता अपने बच्चे में भगवानों के रूप को देखकर बहुत खुश होते हैं । यह अच्छी बात है पर अक्सर मां बाप बच्चों की नादानियों को उनका भोला चेहरा और मासूमियत देखकर माफ कर देते हैं ।
बच्चे मां अथवा पिता में किसी एक के लाडले होते हैं जिससे उन्हें ज्यादा लगाव होता है। यदि उनके सामने कोई गलती कर देते हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है । यहीं से लाड़-प्यार में उन्हें नादानी करने का बढ़ावा मिलता है और धीरे-धीरे यह बच्चे की आदत में शुमार हो जाता है।

समाजशास्त्री व जानकार मानते हैं की निम्न सुझावों को अपनाकर बच्चों में इस समस्या को पनपने से काफी हद तक रोका जा सकता है ।
1 बचपन में ही बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार दे कर उन्हें गुणवान बनाएं ।
2 बालपन से ही बच्चे को गलती का एहसास कराने का तरीका प्रेमपूर्वक अपनाएं ।
3 घर परिवार के माहौल को साहसपूर्ण बनाएं जहां बच्चे कुछ अच्छे संस्कार सीखे ।
4 बच्चा यदि ज्यादा शरारत करें तो उसे अकेले में नसीहत दें। सभी के सामने डांटने या कहने से बच्चा जिद्दी बन सकता है।
5 बच्चों को TV त, CD व साइबर कैफे की खुली छूट ना दें । ना ही उन्हें ऐसे मित्रता करने की अनुमति दी जाए जहां उसको पर असर पड़ सकता है ।
6 बच्चे में यदि गालियां मारपीट करने लगे तो उसे पहले प्रेम व स्नेह से समझाएं गलती के बाद तुरंत ना डांटे ।
7 स्कूल की डायरियां व पुस्तकों की समय-समय पर जांच करें कहीं कोई सूचना या पत्र आदि तो नहीं है ।