बुढ़ापा संवर जाएगा
वृद्धावस्था दो प्रकार की होती हैं शारीरिक और मानसिक । शारीरिक वृद्धावस्था अवश्यंभावी है। उस अवस्था में भी स्वस्थ रहने के लिए जवानी से ही प्रयास करना आवश्यक है । दवाओं के बल पर संभव है कि व्यक्ति वृद्धावस्था को लंबा बना सके पर उससे स्वास्थ्य वापस आने वाला नहीं है । पर यदि वृद्ध व्यक्ति में मनोबल हो तो वह युवकों से भी अधिक मानवोपयोगी कार्य कर सकता है।
बुढ़ापे में मानसिक तौर पर स्वस्थ और तंदुरुस्त बने रहने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना काफी जरूरी है ।
वृद्ध लोगों पर 10 वर्षों के शोध के बाद न्यूरोलॉजी के हाल के 1 अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लगातार शारीरिक गतिविधियों की तीव्रता कम कर दी वे अगले 10 वर्षों में 3.6 गुना तेजी से बूढ़े हुए । मध्य से निम्न तीव्रता वाली गतिविधियां जैसे 3 मील प्रति दिन टहलने वाले लोग अन्य लोगों के मुकाबले मानसिक रूप से देर से बूढ़े हुए। इस शोध में रिपोर्ट के लेखक ने बताया कि माध्यम से कम तीव्रता वाली गतिविधियों का फायदा यह है कि लोग आसानी से इस में भाग लेकर अनुकूल परिणाम पा सकते हैं । जबकि अधिक तीव्रता वाले गतिविधियों में ऐसा होने की कम गुंजाइश होती है । यह अध्ययन इटली और नीदरलैंड में सन 1900 से 1920 के बीच जन्में 295 लोगों पर 1990 की शुरुआत में किया गया । अनुसंधानकर्ताओं ने शारीरिक गतिविधियों के तहत टहलना, साइकिल चलाना, बागवानी ,खेती -खेत और अन्य कामो को करने की अवधि और उसकी तीव्रता की मांप की । इसके बाद दिमाग के कार्य करने की क्षमता का मूल्यांकन लघु मानसिक अवस्था परीक्षण के जरिए किया । अध्ययन में यह बात सामने आई कि जिन लोगों ने यह अपने शारीरिक गतिविधियां 1 घंटे या उससे भी कम समय के लिए सीमित कर दी उनमें मानसिक वृद्धता उन जैसे लोग जिन्होंने अपनी गतिविधियां सचारू रूप से कायम रखी उनकी तुलना में 3.6 गुना ज्यादा हुई ।
वृद्ध अवस्था में व्यक्ति अपना मन जितना स्वस्थ रख सके उतना ही आनंद उसे इस अवस्था में प्राप्त होगा ।
प्रातः काल का समय धर्म-कर्म में लगाने का प्रयास करें । कुछ समय अध्यात्मिक पठन-पाठन एवं लेखन में व्यतीत करें । चित्रकारी ,फोटोग्राफी आपके मस्तिष्क को सक्रिय रखने का एक अच्छा माध्यम हो सकती हैं। हास्य रस की कविताएं ,लेख, पुस्तकें पढ़ें शरीर की अवस्था एवं योग्यता के अनुसार समाज एवं परिवार में अपनी भूमिका निश्चित करें । हल्का फुल्का प्रातः एवं सायं व्यायाम करें ।
वृद्धावस्था में व्यक्ति को मुख्यतः एक दर्शक की भांति बनना चाहिए। जगत के रंग मंच पर निरंतर चलते नाटक को देखकर उसमें से मात्र आनंद भाग को ग्रहण करके वृद्ध व्यक्ति शांति का अनुभव कर सकता है।