भारत की सैन्य शक्ति का राजपथ पर जलवा

पूरा भारत 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. हर साल की तरह इस बार भी राजपथ पर भारतीय सेना ने अपने शौर्य का परिचय देती है. इस दौरान सेना के जवानों ने मार्च किया और अपने हथियारों का शक्ति प्रदर्शन किया. आइए देखते हैं भारतीय सेना के उन हथियारों वो खास हथियार और जानते हैं उनके फीचर्स के बारे में…

भीष्म (टी-90 टैंकर्स)– इसमें 125 एमएम बोर की गन है, जो 5 किलोमीटर तक फायर कर सकती है. यह तीन प्रकार की एन्यूमेशन को फायर कर सकता है और यह उड़ते हैलीकॉप्टर को भी उड़ा सकता है. इसकी मारक क्षमता 60 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसे हंटर किलर टैंकर भी कहा जाता है. बताया जाता है कि युद्ध की स्थिति में यह टैंक ही दुश्मन की जमीन में सबसे पहले घुस सकता है.

 

इंफैंट्री कॉम्बेट व्हीकल- यह लड़ाकू वाहन 30 एमएम ऑटोमेटिक गन से लैस है.कॉम्बेट व्हीकल में 7.62 एमएम पीकेट भी लगी है. साथ ही रात में 4000 मीटर तक शत्रुओं को मार गिराने में सक्षम है.

ब्रह्मोस्त्र मिसाइल सिस्टम- यह वर्तमान में विश्व की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यह 2.8 मैक की रफ्ताप से 290 किलोमीटर तक वार कर सकता है. एक साथ तीन टारगेट भेदने में सक्षम है. साथ ही  यह सीनों सेनाओं के पास है. यह जल, थल और वायु में लॉन्च करने में सक्षम हैं.

हथियार खोजी रडार ‘स्वाथि’- यह स्वदेश निर्मित रडार है. यह दुश्मन के हथियारों के लोकेशन पकड़ने में सक्षम है और यह दुश्मन की गन आदि की  लोकेशन पता कर लेता है. यह 40 किलोमीटर दूर से गोले की पहचान करने में सक्षम है.

बिल लेयर टैंक (टी-72)- यह टैंक पुल बनाने के काम करता है. यह तीन से पांच मिनट में पुल बिछा सकता है और 5 से 8 मिनट में पुल को वापस ले सकता है. यह खाई और तिरछी ढलान को पाटने में सक्षम है.

मोबाइल आधारित ट्रांसीवर स्टेशन ‘बीटीएस’- यह दूरदराज के क्षेत्रों में संचार स्थापित करने में इस्तेमाल किया जाता है. यह तीसरी पीढ़ी की सीडीएमए तकनीक पर आधारित है.

आकाश हथियार प्रणाली- आकाश स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. छोटी दूरी तक अचूक वार करने में सक्षम है. यह 150 किलोमीटर तक के हवाई इलाके की निगरानी कर सकता है और 25 किलोमीटर तक के दायरे में विमानों को गिराने में सक्षम है. यह वायु सेना और थल सेना में शामिल है.

निर्भय मिसाइल- इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. यह जीपीएस के जरिए काम करती है और यह लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है. यह रडार को चकमा देकर कम ऊंचाई में उड़ने की क्षमता रखती है.

अश्विनी रडार सिस्टम- यह डीआरडीओ द्वारा स्वदेश में निर्मित है और यह कम दूरी पर उड़कर रडार से बचता है. इसकी क्षमता भी बहुत अधिक है.

 

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