मौनी अमावस्या के दिन क्‍यों रहते हैं मौन ?

माघ महीने में आने वाली पहली अमावस को मौनी अमावस्या नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या की खास बात है कि इस दिन मौन रहकर पूजा-पाठ और व्रत किया जाता है. इस बार यह अमावस्या 16 से 17 जनवरी के दिन मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से देवताओं से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या को भौमवती अमावस्या और मौन अमवस्या भी कहा जाता है. माघ महीने में गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है इसी महीने में इलाहाबाद के संगम और सभी गंगा के किनारों पर श्रद्धालु स्नान करते हैं. जिन लोगों को गंगा में स्नान का मौका नहीं मिल पाता वह घर में रहकर भी नहाने के पानी में कुछ बूंद गंगाजल डालकर स्नान करते हैं.   शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करने से पुण्य मिलता है. ठीक उसी तरह जिस प्रकार सतयुग में पुण्य तप से मिलता था, द्वापर में हरि भक्ति से मिलता था और त्रेता में ज्ञान से मिला करता था. इसीलिए मौनी अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन अन्न, वस्त्र, धन, गाय, भूमि और स्वर्ण दान के रूप में दिया जाता है. साथ ही तिल भी दान किया जाता है. इसके अलावा सुबह का गंगा स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप किया जाता है.

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.