शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को महासमाधि

                                     

कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती का बुधवार सुबह निधन हो गया है. उन्हें आज महासमाधि दी उन्हें तबीयत खराब होने पर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनका निधन हो गया. उनकी उम्र 82 साल थी. कांची मठ देश के प्राचीन मठों से एक है. वह 69वें शंकराचार्य थे.

जयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटी पीठ के 69वें मठप्रमुख थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. इससे पहले 22 मार्च 1954 को  सरस्वती स्वामीगल ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. उस वक्त वो सिर्फ 19 साल के थे.जयेन्द्र सरस्वती का जन्म 18 जुलाई, 1935 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था. 19 साल की उम्र में उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग करके संन्यास ग्रहण कर लिया. जयेन्द्र सरस्वती के लाखों की संख्या में अनुयायी थे. हालांकि जयेन्द्र सरस्वती पारंपरिक साधुओं की तरह नहीं थे. वह कई ऐसी चीजों में लिप्त रहे जिनसे प्राय: साधु-संन्यासी और आध्यात्मिक गुरु दूरी बनाकर रखते हैं.

                                               

जयेन्द्र सरस्वती वेदों के ज्ञाता थे. उन्हें ऋग्वेद, धर्म शास्त्र, उपनिषद, व्याकरण, वेदांत, न्याय और सभी हिंदू धर्मों के ग्रथों का ज्ञान था. उनके अनुयायियों के मुताबिक, उनकी साधना उनकी असीम भक्ति के अनुरूप थी.  वह अल्प मात्रा में भोजन ग्रहण करते थे और सुविधाजनक बिस्तरों पर नहीं सोते थे. वह सभी तरह के शारीरिक सुखों से भी दूर रहते थे. साधु बनने के बाद वह सभी तरह के शारीरिक सुखों को त्याग चुके थे.जयेन्द्र सरस्वती को दर्जनों स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल्स और चाइल्ड केयर सेंटर खोलने का भी श्रेय दिया जाता है. कांची मठ इन संस्थाओं को मुफ्त या सब्सिडी पर अपनी सेवाएं प्रदान करता है. हालांकि जयेन्द्र सरस्वती कई बार विवादों में भी आए. 2000 की शुरुआत में दिल्ली के मेहरौली इलाके में जमीन की कीमतों में काफी दिलचस्पी दिखाई. उन्हें यहां किसी धार्मिक समारोह में आमंत्रित किया गया था.  समारोह में शामिल होने के बाद उन्होंने देश की राजधानी में अपने मठ के लिए जमीन अधिग्रहण करने की इच्छा जताई. 2004 में जयेन्द्र सरस्वती को कांचीपुरम के एक मंदिर के मैनेजर शंकरमण की हत्या के संबंध में गिरफ्तार किया गया था. 9 साल बाद उन्हें आरोप से मुक्त कर दिया गया.गोहत्या के मुद्दे पर जयेन्द्र सरस्वती का कहना था कि जानवरों की हत्या करना महापाप है क्योंकि गाय की मां के तौर पर पूजा की जाती है. हालांकि गाय के रुग्ण होने की स्थिति में मृत्यु उचित है. कांची पीठ के शंकराचार्य के मुताबिक, यह एक सर्जरी की तरह है. अगर आपकी कोई अंगुली सड़ जाए तो बाकी अंगों को सुरक्षित करने के लिए उसे काट देना ही बेहतर है.