सावधान..! कही जीव्हा के स्वाद के साथ ज़हर का स्वाद तो नही चख रहे हम..

हरिद्वार। 

हर किसी को अपनी रोटी कमाने का अधिकार है, लेकिन किसी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर अपना रोजगार चलाना जुर्म से कम नहीं है। लेकिन यह कार्य धर्मनगरी में धड़ल्ले से चल रहा है। रानीपुर मोड़, प्रेम नगर आश्रम पुल, कनखल, कृष्णा नगर आदि क्षेत्रों में शाम ढलते ही दर्जनों फास्ट फूड चार्ट गोलगप्पे फालूदा कुल्फी आइसक्रीम आदि के चलते फिरते स्टाल खड़े हो जाते हैं। जिला खाद्य संरक्षण विभाग की अनदेखी के चलते यह सभी खोमचे, ठेले वाले बेलगाम हो चुके हैं। अधिकांश ठेलो पर न तो स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है, ना ही खाने-पीने के सामान की कोई मानकता है, ना ही श्रम विभाग के मानकों को पूरा किया जाता है। खाद्य संरक्षण विभाग का कार्यवाही का समय सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक होता है। लेकिन यह सभी खोमचे, कुल्फी फालूदा वालों का बाजार शाम ढलने के बाद ही शुरू होता है। वह अपने ग्राहकों को कैसा खाद्य पदार्थ दे रहे हैं, उसमें डाले जाने वाले खाद्य पदार्थ ताजे हैं या नहीं। इन सब बातों का ख्याल रखने वाला विभाग भी मौन रहता है। यही नहीं इनकी चलती फिरती दुकानों पर नियमों की अनदेखी कर कमर्शियल सिलेंडरों की जगह घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर उपयोग में लाए जाते हैं फास्ट फूड की दुकानों पर बच्चों महिलाओं की भीड़ जमा होने लगती है। गर्मियों की शाम को घर से निकले बच्चे आइसक्रीम, कुल्फी, फालूदा, गोलगप्पो आदि की ओर आकर्षित हो जाते है। लेकिन जिव्हा का स्वाद उन्हें खतरनाक रसायन का स्वाद भी चखा रहा होता है। यदि कोई समझे कि कुल्फी में क्या गलत होगा तो जान लीजिए कुल्फी अब पहले की तरह खालिस दूध से नही बनती। उसमे पाउडर के दूध का प्रयोग होता है। दूसरा जिस रबड़ी के घोल में डूबा कर आप को कुल्फी दी जा रही है। वह कितने दिन पुरानी है। फ्रीज में हम खाद्य पदार्थो को ठंडा ओर फ्रेश रखने का तो प्रयास करते है। लेकिन कुछ अवधी तक उसकी अवधि समाप्त होने के बाद वो टेस्ट में खट्टी होने लगती है। तो चालाक व्यक्ति उसमे चीनी का घोल ओर खुशबू मिला कर ग्राहकों के साथ विश्वासघात कर देते है। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व तक फास्टफूड वाले गोलगप्पे की दुकान वाले कम होने के कारण अधिकांश जगह मौके पर ही है सामान बनाए जाते थे लेकिन दुकानों की बढ़ती संख्या और को देख गोलगप्पे ही नहीं चार्ट पकौड़ी मोमोज बर्गर टिक्की भी रेडीमेड मिलने लगे हैं। जिसका मुनाफा भी कहीं अधिक होने के कारण दुकानदार यह चीजें बनाने की अपेक्षा रेडीमेड खरीदना ज्यादा मुफीद समझते हैं। जाहिर है कि निर्धारित जगहों से रेडीमेड आने वाले खाद्य पदार्थों की क्वालिटी में स्वाद भी एक जैसा ही होता है यही नहीं रेडीमेड सामान देने वाले रिप्लेसमेंट के नाम पर भी लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से नहीं चूकते मतलब आज का बचा हुआ सामान कल नए व ताजे के नाम पर खरीददार पर अदला-बदली कर दे दिया जाता है। बात सिर्फ छोटे खाद्य पदार्थ दुकानदारों की ही नहीं बल्कि नामचीन और बड़ी दुकानों पर भी अब अधिकांश मिठाइयां रेडीमेड की बेची जा रही है इस बाबत जब जिला खाद्य संरक्षण अधिकारी आर एस पाल से बात की तो उन्होंने बताया कि विभाग अपना कार्य कर रहा है लेकिन देर शाम को लगने वाले इन चलते फिरते दुकानदारों दुकानों पर शिकायत के बाद ही कार्यवाही की जाती है उन्होंने कहा कि बड़ी दुकानों पर भी समय-समय पर सैंपलिंग की जाती है।