स्कूल के में पाठ्यक्रम ‘काम इच्छा’ जैसे शब्द पर विवाद
महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर चौथी क्लास तक के बच्चों के लिए सप्लीमेंटरी रीडिंग की एक किताब ‘बाल नचिकेता’ पढ़ाई जाती है. इस किताब को स्कूलों की पुस्तकालयों के लिए खरीदा गया है. इस किताब में कई पौराणिक कहानियां दी गई हैं.
बच्चों के अभिवावकों के अनुसार इस पुस्तक में ‘कौमार्य भंग होने’, ‘शारीरिक सुख’, ‘यौन इच्छा’ जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, जो बच्चों के लिहाज से बिल्कुल अनुपयुक्त है. इस किताब की एक कहानी में दिया गया वाक्य है- ‘पहले कई ऐसे उदाहरण पाए जाते हैं, जब राजाओं और देवताओं ने शादी के बिना भी शारीरिक सुख हासिल किए.’
एक और कहानी के अनुसार मत्स्यगंधा ऋषि पराशर से कहती हैं, ‘हे ऋषि यदि मेरा कौमार्य भंग हो तो भी क्या आप मुझे स्वीकार करेंगे?’
इसकी कहानी में कुछ अन्य पंक्तियां इस प्रकार हैं-उसके शरीर की लचक देखकर ऋषि पराशर के अंदर काम इच्छा जाग उठी
इससे कई सामाजिक संस्था एवम् विपक्ष अपना रोष जता रहा है