धर्म नगरी में फैलता नशे का धंधा(1)

 

राजीव शास्त्री

हरिद्वार। आज की युवा पीढ़ी का नशा के प्रति बढ़ते आकर्षण से अभिभावकों में भय एवं चिंता व्याप्त है। वर्तमान समय में प्रखंड मुख्यालय के साथ-साथ छोटे-छोटे पान दुकानों में नशा का सामान उपलब्ध होने से युवा वर्ग आसानी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं।क्षेत्र के 80 से 85 प्रतिशत युवक किसी ने किसी रुप से नशे के गिरफ्त में हैं। नशे की इस कारोबार से अभी तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन प्रशासन इस धन्धे पर रोक नही लगा पा रहा है। वहीं सूत्रों की माने तो ऐसे कई मेडिकल स्टोर है जो फर्जी फार्मासिस्ट के नाम से अपनी दूकान चला रहे हैं। जिन फार्मासिस्टों का नाम दर्शाया गया  है वे मौजूद नहीं हैं। यही नही एक लाइसेंस पर एक ही नाम से कई मेडिकल स्टोर भी चल रहे हैैं।उसमें संबंधित विभाग की अहम भूमिका बताई जा रही है। जिसके लिए बकायदा मेडिकल स्टोर वालों से प्रति माह मोटी रकम दिए जाने की भी क्षेत्र में चर्चा है।  नशे के इस कारोबार से युवा पीढ़ी पूरी तरह से बर्बाद हो रही है साथ ही नाबालिग बच्चे भी नशे के आदी हो चुके हैं। जिससे इन बच्चो का भविष्य खराब हो रहा है।गौरतलब हैं कि विगत वर्ष नवम्बर 2018  में जिलाधिकारी दीपक रावत ने मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी की थी और खामियां भी पाई गयी। इतना ही नहीं जिलाधिकारी ने ड्रग इंस्पेक्टर का स्पष्टीकरण भी तलब किया था। जिसके चलते  आर्य नगर स्थित एक मेडिकल स्टोर पर छापे मारी में चोंकाने वाले तथ्य सामने आए थे जिनके अनुसार मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जिस व्यक्ति के नाम पर था वह पिछले 6 साल से दुबई में रह रहा है और उसके नाम पर लाइसेंस लगातार रिन्यूवल होता रहा है।  जबकि नियमानुसार मेडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट डिग्रीधारक ही दवा बेच सकता है। मेडिकल स्टोर पर दवा बेचने के लाइसेंस से लेकर अन्य समस्त अनियमितताएं मिली। जिस पर मेडिकल स्टोर को तत्काल सील कर दिया गया था। कारवाई के दौरान डीएम दीपक रावत ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों पर भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायत लगातार सामने आ रही हैं।   कारवाई के बाद से मेडिकल स्टोरों पर यह धंधा रूका नही। यदि देखा जाए तो इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में खुले मेडिकल स्टोर नशीली दवाओं के केंद्र बन चुके हैं। लोग खुलेआम मेडिकल स्टोरों पर टैबलेट व नशीली सीरप के साथ साथ अन्य कई नशीला पदार्थ बेंच रहे हैं। जिससे देश के भविष्य कहे जाने वाले युवक और युवतियां नशे का सेवन कर पूरी तरह से बर्बाद हो रहे हैं। एक ओर जहां सरकार प्रदेश को नशा मुक्त बनाने का प्रयास कर रही है वहीं अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में नशे का साम्राज्य स्थापित हो रहा है।सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई मेडिकल स्टोर्स हैं जो कि बिना चिकित्सकीय पर्ची व बिना बिल के दवाइयां बेचते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि आपको डाॅक्टर के पास जाने की भी आवश्यकता नहीं। यदि आप बीमारी बताएं तो मेडिकल स्टोर संचालक दवा भी दे देते हैं। इसके अलावा नकली दवाइयों का कारोबार भी धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि  ड्रग एवं काॅस्मेटिक एक्ट के तहत शेड्यूल एच के अतिरिक्त कोई दवा बिना चिकित्सक की पर्ची के नहीं बेची जा सकती। लेकिन यहां मेडिकल स्टोर संचालक कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसके फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया की पहल पर वर्ष 2015 में संसद में एक नियम लागू किया गया था। नियम के मुताबिक 30 जून 2015 तक की अवधि के उपरांत हर मेडिकल स्टोर के संचालक को बिना चिकित्सक की पर्ची के दवा बेचने पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके दवा व्यापारी खुलेआम बिना चिकित्सक की पर्ची के दवा बेचकर कानून का उल्लंघन करने पर तुले हैं। प्रशासन अगर इतने भर से भी नहीं चेता और यूंही जिले में मेडिकल स्टोर्स की मनमानी चलती रही तो मनमानी के प्रति बरती जा रही उदासीनता कहीं न कहीं आमजन के जीवन पर जरूर भारी पडे़गी ।