महाराजा अग्रसेन महाराज के अठारह पुत्रों के सन्तानों के सन्तान से एक नवीन वंश का उदय हुआ-अग्रवंश!! – अग्र भागवत प्रथम दिवस कथा

अग्रवंश के परम आदरनीय एवं पूज्यनीय नन्द बाबा जी ने महाराजा श्री अग्रसेन जी की जीवनी पर आधारित श्री अग्र भागवत कथा सुनाते हुए बोले — हे राधे बाबा !! इस सृष्टि की उत्पत्ति, पालन एवं प्रलय की लीला स्वयं परमपिता परमात्मा समयानुसार करते रहते हैं !! जब, जहाँ, जैसा जरूरत पड़ा, तब, वहाँ, वैसा रुप धारण करके प्रकट हो गये !! इस सृष्टि में जो कुछ भी दृश्य-अदृश्य, पदार्थ-तत्व, जड़-चेतन, चल-अचल, जीव-निर्जीव, देवी-देवता, दानव-मानव,थलचर-जलचर-नभचर सब कुछ परमपिता परमात्मा ने ही उत्पन्न किया है या प्रकट किया है या बनाया है या बनवाया है !! इस सृष्टि में जो कुछ है यानि कण-कण परमात्मा का ही स्वरूप है !! उसी परमपिता परमात्मा ने मानव सृष्टि की रचना हेतु सर्वप्रथम मनु नामक पुरुष को और शतरुपा नामक प्रथम स्त्री को प्रकट किया और आदेश दिया कि वे सन्तान उत्पन्न करें और मानव सृष्टि को निरन्तर बढ़ाते रहे !! दरअसल इस संसार में जितने भी मनुष्य हैं, वास्तव में उसी मनु और शतरुपा के ही वंशज है !! कालान्तर में सूर्य नामक दिव्य महापुरुष से सूर्यवंश की नींव पड़ी !! उसी सूर्यवंश में इच्छवाकु नामक राजा हुए !! जिसके नाम पर इच्छवाकु वंश प्रारम्भ हुआ !! इसी वंश में रघु नामक एक प्रसिद्ध राजा हुए !! उसी राजा रघु से रघुवंश की नींव पड़ी !! उसी रघुवंश में अनेक राजा-महाराजा हुए !! उसी रघुवंश में प्रभु श्रीराम अवतरित हुए !! उसी प्रभु श्रीराम के वंश में बल्लभसेन नामक एक तपस्वी राजा हुए !! उसी तपस्वी राजा बल्लभसेन जी की सन्तान के रुप में एक दिव्य बालक का अवतरण हुआ — जिनका नाम रखा गया — अग्रसेन !! कालान्तर में, वही दिव्य महापुरुष अग्रसेन जी अठारह राजाओं के राजा यानि महाराजा श्री अग्रसेन जी के नाम से इस संसार में प्रसिद्ध हुए !! उसी महाराजा श्री अग्रसेन जी महाराज के अठारह पुत्रों के सन्तानों के सन्तान से एक नवीन वंश का उदय हुआ — अग्रवंश !!वर्तमान समय में महाराजा श्री अग्रसेन जी के अठारह पुत्रों के पुत्र यानि अग्रवंश के सन्तान इस संसार में यत्र-तत्र-सर्वत्र मौजूद है !!

अग्रवंश के परम आदरनीय एवं पूज्यनीय नन्द बाबा जी के मुखारविन्द से सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर द्वापर युग के अंत तक की घटनाक्रम को सुनकर राधे बाबा ने पूछा — हे नन्द बाबा !! हमारे मन में महाराजा श्री अग्रसेन जी के पिताश्री राजा बल्लभसेन जी के बारे में जानने की इच्छा है ! कृपया करके राजा बल्लभसेन जी के बारे में बताने की कृपा करें !! राजा बल्लभसेन जी किस देश के राजा थे ? जनता-जनार्दन के प्रति उनका कैसा व्यवहार था ? उन्होंने अपने जीवन में ऐसा क्या-क्या किये ? जिसके कारण वह प्रसिद्ध हुए !! राधे बाबा के द्वारा पूछे गये सवाल का जबाब देते हुए नन्द बाबा जी बतलाने लगे — द्वापर युग के अंतिम काल में महाभारत युद्ध से पूर्व भारतवर्ष के पश्चिमी भाग में प्रतापनगर नामक एक राज्य था, जहाँ पर सूर्यवंशी क्षत्रिय तपस्वी राजा बल्लभसेन जी अपना राजपाठ सुचारु रूप से चला रहे थे !!

राजा बल्लभसेन जी के राज्य में जनता-जनार्दन बहुत ही सुखी एवं सम्पन्न था परन्तु सन्तान न होने के कारण दुख से पीड़ित राजा बल्लभसेन कुलगुरु महर्षि गर्गाचार्य जी के पास गये और बोले — हे कुलगुरु देव जी !! हमारा सन्तान न होने का दुख कैसे दूर होगा ? वंश को आगे बढ़ाने वाला पुत्र की प्राप्ति कैसे होगा ? इसका कोई सटीक उपाय बताईए ? अपने शिष्य का दुख का कारण जानकर कुलगुरु देव महर्षि गर्गाचार्य जी ने अपने दिव्य दृष्टि से देखकर बोले — हे राजन !! आप सन्तान पाने के लिए अपनी कुलदेवी भगवती जगदम्बा जी की तपस्या कीजिए !! उसी माता जगतजननी जगदम्बा जी के वरदानस्वरुप आपको एक वरदानी पुत्र प्राप्त होने का प्रबल योग है !! इसलिए आप हरिद्वार जाकर गंगा मईया के चरणों में बैठकर पूरे विधि-विधान के साथ तपस्या कीजिए !! महर्षि गर्गाचार्य जी के आदेशानुसार राजा बल्लभसेन जी हरिद्वार जाकर माता भगवती गंगा जी के चरणों में बैठकर माता जगतजननी जगदम्बा को प्रसन्न करने हेतु तपस्या करने लगे !! माता भगवती जगदम्बा उसकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हो गयी और वरदान मांगने को बोली !! राजा बल्लभसेन जी दोनों हाथ जोड़कर वरदान मांगते हुए बोले — हे मां !! हमें एक ऐसा पुत्र प्रदान कीजिए जो अपने कुल का उद्धार कर सके !! जो जनता-जनार्दन की देखभाल कर सके !! जो मानवता का पुजारी हो !! जिसके मन में सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत रहे !! ऐसा सर्वगुण सम्पन्न पुत्र चाहिए, जो अपने सद्कर्मो से मानव संस्कृति का एक अलग इतिहास रच सके !! एक ऐसा सर्वगुण सम्पन्न पुत्र चाहिए, जो सदैव सनातन धर्म की रक्षा में तत्पर रह सके !! जगतजननी माता जगदम्बा बोली — तथास्तु !! हे राजन !! तुम्हें ऐसा ही चमत्कारी एवं वरदानी पुत्र प्राप्त होगा !! इतना कहकर माता भगवती जगदम्बा अंतर्घ्यान हो गयी !! माता से वरदान पाकर राजा बल्लभसेन जी हरिद्वार से अपने राज्य प्रतापनगर लौट आये !! माता की कृपा से वह घड़ी भी आ गई, जब इस धरती पर एक दिव्य वरदानी महापुरुष का अवतरण हुआ !! उस दिन अश्विनी मास का शुक्ल पक्ष प्रतिपदा था ! रविवार का दिन दोपहर के बारह बजे उस महापुरुष ने दिव्य बालक के रुप में माता भगवती देवी के गोद में दर्शन दिये !!
प्रेम से बोलिए– महाराजा श्री अग्रसेन जी महाराज की जय !!क्रमशः –

संपर्क सूत्र
अग्र भागवत कथा वाचक
संत श्री राधे बाबाजी
महाराजा श्री अग्रसेन सेवाश्रम ट्रस्ट, ऋषिकेश रोड, भूपतवाला, हरिद्वार, उत्तराखण्ड

मोबाइल नंबर – 8265865365