India vs West Indies: टेस्ट क्रिकेट में कदम रखते ही 21 सदी के सबसे युवा बल्लेबाज बने पृथ्वी शॉ
शॉ ने 14 साल की उम्र में हैरिस शील्ड में 546 रनों की पारी खेलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था
इंग्लैंड दौरे पर लंबे फॉर्मेट में अपने बल्ले का कमाल दिखाने का इंतजार करने वाले पृथ्वी शॉ का यह इंतजार वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में खत्म हुआ और वह राजकोट में गुरुवार से शुरू हुए पहले टेस्ट मैच से लंबे फॉर्मेट में कदम रखेंगे. मैच से पहले राहुल द्रविड़ के शिष्य पृथ्वी को भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट कैप दी. शॉ भारत के 293 नंबर के टेस्ट खिलाड़ी बन गए हैं. शॉ के लिए राजकोट काफी खास है, क्योंकि यहीं पर उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रखा था और अब टेस्ट क्रिकेट में. अपनी कप्तानी में भारत को इसी साल अंडर 19 विश्व कप विजेता बनाने वाले शॉ ने 18 साल 329 दिन की उम्र में टेस्ट में कदम रखा.
पृथ्वी शॉ 21वीं शताब्दी में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले भारतीय बल्लेबाज हैं. वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में शॉ पारी का आगाज करेंगे. इसी के साथ शॉ सैयद मुश्ताक अली से भी आगे निकल गए हैं. शॉ डेब्यू मैच में भारतीय पारी का आगाज करने वाले दूसरे युवा खिलाड़ी बन गए हैं. सबसे युवा खिलाड़ी विजय मेहरा हैं, जिन्होंने 17 साल 265 दिन की उम्र में डेब्यू मैच में पारी का आगाज किया था. मेहरा के बाद शॉ हैं और तीसरे नंबर पर सैयद मुश्ताक अली, जिन्होंने 19 साल 19 दिन की उम्र में पारी की शुरुआत की थी.
पृथ्वी शॉ पर पूरी दुनिया की नजरें उस समय पड़ी थी, जब उन्होंने 14 साल की उम्र में हैरिस शील्ड में 546 रनों की पारी खेलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था. 17 साल की उम्र में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया और मुंबई की ओर से खेलते हुए शतक जड़ा. शॉ ने 14 फर्स्ट क्लास मैचों में अब तक 56 72 की औसत से 1418 रन बनाए. उन्होंने 7 शतक और 5 अर्धशतक भी जड़े. 18 साल की उम्र में शॉ ने साउथ अफ्रीका ए के खिलाफ शतक जड़ा था, यहीं नहीं इंग्लैंड दौरे पर पर पृथ्वी ने इंडिया ए की ओर से खेलते हुए तीन शतक लगए थे. इस युवा खिलाड़ी को इंग्लैंड के खिलाफ चौथे और पांचवे टेस्ट के लिए टीम इंडिया में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें अंतिम एकादश में मौका नहीं मिल पाया. उनकी जगह हनुमा विहारी को मौका दिया गया था, लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ पृथ्वी का सपना पूरा हो गया. अब देखना होगा कि वह यहां कितना प्रभाव छोड़ पाते हैं