*आवाज साहित्यिक संस्था द्वारा साहित्य के सर्वधन हेतु शुरू की गई थी 22 जून 2020 से अविरल ऑनलाइन प्रसारण सेवा।*

ऋषिकेश दिनांक 19 जून 2021_
ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य की प्रमुख साहित्यिक संस्था आवाज के द्वारा उत्तराखंड देव भूमि के प्रवेश द्वार ऋषिकेश से कोरोना वैश्विक महामारी के संकट में जब साहित्य के मंचों पर कार्यक्रम आयोजन लगभग रुक गए थे एसे समय पर आवाज़ साहित्यिक संस्था ने 22 जून 2020 से साहित्य संवर्धन एवं रक्षण हेतु ऑन लाईन लाईव प्रसारण सेवा अविरल रूप से प्रसारित की है ।
उक्त प्रसारण जिसमें साहित्य, संस्कृति, संवाद तीन धाराओं को लेकर चलने वाली आवाज ने साहित्य में संपूर्ण भारत वर्ष के राज्यों से साहित्यकारों को आमंत्रित किया , उत्तराखंडी संस्कृति के संवाहक के साथ गीतकारों, गायकों, कलाकारों परम्परा के चित्रकारों, शिल्पकारों वाद्य यंत्रों के विशेषज्ञों के साथ विभिन्न समसामयिक विषयों पर संवाद के भगीरथ को आमंत्रित कर एक जनचेतना का कार्य करते हुए अनेक विषयों पर चर्चा परिचर्चा जैसे पलायन, शिक्षा , स्वास्थ्य, रोजगार , चिकत्सा , कोरोना संकट, वैक्सीन, धर्मशास्त्रों, धार्मिक पलायन, पर्यावरण , पर्यटन, नदियों , जैव विविधता , एवं विशेष प्रतिभाओं के उपयोग मंथन चिंतन के रूप में सार्थक विचार संवाद करवाते हुए अन्य उपयोगी विषयों को उत्तराखंड देव भूमि के हिमालय से गंगा सागर तक पहुंचने में अपने 330 एपिसोड के माध्यम से संपूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ सात समंदर पार जहां अपने उत्तराखंडी प्रवासी सेवाएं दे रहे हैं वहां तक इस सन्देश को पहुंचाने में कामयाब रही है।

आवाज संस्था ने समाज के अंदर समर्पित रूप से काम करने वाले अनेक प्रतिभाओं को मंच पर अग्रसारित कर संपूर्ण समाज में उनके कार्यों के विषय में बताया जिससे अनेक लोग प्रेरणा लेकर इस वैश्विक महामारी में अपने अपने सेवा कार्य में जुटे रहे। समय-समय पर सुदूरवर्ती कंदरा ओं में बैठी हुई प्रतिभाओं को मंच देकर उनकी प्रतिभा के साथ उनके आत्मविश्वास में वृद्धि की है अनेक बाल कलाकारों को गीत कारों को गायकों को मंच एवं प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाया है
20 वर्षों से साहित्य के लिए समर्पित आवाज साहित्यिक संस्था ने वैश्विक महामारी के समय एक विशेष साहित्य संवर्धन की अनोखी पहल की है जिसे संपूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ विश्व के देशों में जहां उत्तराखंडी संस्कृति के लोग पाए जाते हैं वहां भी एक मुक्त कंठ से संस्कृति संवर्धन की प्रशंसा की गई है ।
विशेष कर जब चारों तरफ भय का वातावरण बना हुआ था उस समय यह विधा बड़ी महत्वपूर्ण मानी गई पेज पर जब विभिन्न प्रतिभाएं जुड़ती थी तो दर्शक गणों में एक विशेष उत्साह देखा गया लगभग 95000 दर्शकों के साथ आवाज़ की आवाज जन जन तक पहुंचने का अपना मिशन पूरा कर रही है पेज पर दर्शकों के बीच ऐसा वातावरण बना हुआ रहता है जैसे अपने परिवारों के बीच जहां साहित्य संस्कृति और संवाद की त्रिवेणी के आंनद के साथ लोगों ने पेज के माध्यम से एक दूसरे की सेवा सहयोग देने की बात की है जैसे पर्यावरण रक्षण में, करोना काल के समय लोगों की सहायता करने में ,भोजन व्यवस्था देने में, रक्तदान , घर घर राशन वितरण में, एक दूसरे की मदद करने में विभिन्न राज्यों के अंदर उत्तराखंडी लोगों की मदद की गई है, इससे लगता है कि यह प्रसारण का कार्यक्रम काफी बेहतरीन रूप से उपयोगी एवं पसंद किया जा रहा है।
आवाज साहित्यिक संस्था के कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सुनील थपलियाल ने कहा कि ये एपिसोड विषम परिस्थितियों के बावजूद भी अनवरत चलते रहे कभी-कभी कोई विषम परिस्थिति आने के बाद रोका गया है वरना कार्यक्रम लगातार चलते रहे जिस दिन यदि कार्यक्रम नहीं चलता था तो दर्शक दूरभाष के माध्यम से कार्यक्रम के विषय में पूछते थे इससे लगता था कि लोग इस कार्यक्रम को अपने हृदय से पसंद करते हैं आवाज साहित्यिक संस्था की संपूर्ण टीम को धन्यवाद देते हुए जो लगातार इसके लिए नए नए आयाम को ढूंढते हुए आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है स्वयं संस्था के सदस्य अपने इस विशेष पहल से उत्साहित एवं खुश है।
आवाज के अध्यक्ष अशोक क्रेजी ने बताया कि संस्था के द्वारा यह अतुलनीय प्रयास जब तक संभव हो सकेगा साहित्य संवर्धन संस्कृति रक्षण और संवाद जैसे विषयों पर चिंतन और मनन के लिए निरंतर बनाए रखेंगे।

आवाज के प्रमुख सदस्यों में अशोक क्रेजी अध्यक्ष आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल उपाध्यक्ष प्रबोध उनियाल कनिष्ठ उपाध्यक्ष धनेश कोठारी सचिव महेश चिटकारिया सदस्य सत्येंद्र चौहान कोषाध्यक्ष, नरेंद्र रयाल सदस्य, मनोज मलासी , रमेश उनियाल ,धनीराम बिंजॉला , रविशास्त्री , शिवप्रसाद बहुगुणा , आलम मुसाफिर । अरुणा वशिष्ठ जनार्दन प्रसाद उनियाल अनीता भट्ट , स्नेह लता ध्यानी ,पुष्पा उनियाल दिनेश प्रसाद सेमल्टी , हेमवंती नंदन भट्ट सदस्य, इसके साथ ही प्रमुख समाजसेवी चंद्रवीर पोखरियाल संरक्षक , जनकवि डॉ अतुल शर्मा संरक्षक मार्गदर्शक ,रमा बल्लभ भट्ट सलाहकार एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ सुनील दत्त थपलियाल मुख्य रूप से हैं ।
संस्था के उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य रामकृष्ण ने कहा कि
संस्था के द्वारा इन 20 वर्षों में साहित्य की अतुलनीय सेवा की गई सैकड़ों सामूहिक संकलनों को संकलित करते हुए नए रचनाकारों को मंच प्रदान किया है संस्था के अनेक संकलन आज वाचनालयों , पुस्तकालयों एवं घरों मै पाठकों की पसंद बनी हुई हैं ।