1 फरवरी 2023 को होगा जया एकादशी का व्रत,होता है अश्वमेघ यज्ञ समान फलदायी

हिन्दू धर्म में मान्यता है भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया था, कि यह व्रत ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे पाप से भी मुक्ति दिला सकता है ।जया एकादशी को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है. जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
धार्मिक शस्त्र के जानकार बताते है कि पूर्व काल में मुर दैत्य को मारने के लिए भगवान विष्णु के शरीर से एक कन्या प्रकट हुई जो विष्णु के तेज से सम्पन्न और युद्धकला में निपुण थी। उसकी हुंकार मात्र से मुर दैत्य राख का ढेर हो गया । वह कन्या ही एकादशी देवी थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उससे वर मांगने को कहा।
एकादशी देवी ने वर मांगा—‘यदि आप प्रसन्न हैं तो आपकी कृपा से मैं सब तीर्थों में प्रधान, सभी विघ्नों का नाश करने वाली व समस्त सिद्धि देने वाली देवी होऊं। जो लोग उपवास (नक्त और एकभुक्त) करके मेरे व्रत का पालन करें, उन्हें आप धन, धर्म व मोक्ष प्रदान कीजिए।
भगवान ने वर देते हुए कहा—‘ऐसा ही हो । जो तुम्हारे भक्तजन हैं वे मेरे भी भक्त कहलायेंगे ।भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है एकादशी का व्रत।
एकादशी व्रत को सभी व्रतों का राजा’ या ‘व्रतों में शिरोमणि कहते हैं । वैकुण्ठधाम की प्राप्ति कराने वाला, भोग और मोक्ष दोनों ही देने वाला तथा पापों का नाश करने वाला एकादशी के समान कोई व्रत नहीं है। सभी व्रत व सभी दान से अधिक फल एकादशी व्रत करने से होता है। इस तिथि को जो कुछ दान किया जाता है, भजन-पूजन किया जाता है, वह सब भगवान श्रीहरि के पूजित होने पर पूर्णता को प्राप्त होता है ।मान्यता इस दिन किया गया प्रत्येक पुण्य कर्म अनन्त फल देता है और मनुष्य के सात जन्मों के कायिक,वाचिक और मानसिक पाप दूर हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यो अनुसार विभिन्न नक्षत्रों का योग होने पर एकादशी-व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है ।जब शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘पुनर्वसु’ नक्षत्र हो तो वह तिथि ‘जया’कहलाती है ।
इसका व्रत करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।गोदान व अश्वमेध-यज्ञ करने का जो फल होता है, उससे सौगुना अधिक फल एकादशी व्रत करने वाले को मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र और पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी पड़ती है। इसे भूमि एकादशी भी कहते हैं। एकादशी तिथि 31 जनवरी 2023 को 11 बजकर 53 बजे से शुरू होकर 1 फरवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी 2023 को रखा जाएगा।
जया एकादशी पारण का समय 02 फरवरी 2023 को पूर्वाह्न 07:09 बजे से 09:19 पूर्वाह्न तक।पंचागो मे समय भिन्नता के कारण समय थोड़ा बहुत अलग हो सकता है।
मान्यता है कि एकादशी व्रत के करने से सभी रोग व दोष शान्त हो जाते हैं। मनुष्य को दीर्घायु, सुख-शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत का अखण्ड पालन करने से मनुष्य की सौ पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है।एकादशी का व्रत सभी पुण्यों को और मोक्ष देने वाला है।
व्रत का पालन करने वाले जानकार बताते है एकादशी के दिन अन्न (गेहूं, चावल आदि) खाने से पाप क्यों लगता है।इसके लिए कहा गया है कि—‘ब्रह्महत्या आदि समस्त पाप एकादशी के दिन अन्न में रहते हैं । अत: एकादशी के दिन जो भोजन करता है, वह पाप-भोजन करता है। यदि एकादशी का व्रत न भी कर सकें तो इस दिन चावल और उससे बने पदार्थ नहीं खाने चाहिए।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को चन्द्रमा की एकादश (ग्यारह) कलाओं का प्रभाव जीवों पर पड़ता है । चन्द्रमा का प्रभाव शरीर और मन पर होता है, इसलिए इस तिथि में शरीर की अस्वस्थता और मन की चंचलता बढ़ जाती है । इसी तरह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सूर्य की एकादश कलाओं का प्रभाव जीवों पर पड़ता है । इसी कारण उपवास से शरीर को संभालने और इष्टदेव के पूजन से चित्त की चंचलता दूर करने और मानसिक बल बढ़ाने के लिए एकादशी का व्रत करने का नियम बनाया गया है।
ज्योतिष के जानकार बताते हैं यदि उदयकाल में थोड़ी-सी एकादशी, मध्य में पूरी द्वादशी और अंत में थोड़ी-सी भी त्रयोदशी हो तो वह ‘त्रिस्पृशा’ एकादशी कहलाती है । यह भगवान को बहुत ही प्रिय है । इसका उपवास करने से एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है।दशमी युक्त एकादशी का व्रत कभी नहीं करना चाहिए । ऐसा करने से संतान पर बुरा असर पड़ता है ।
।। जय श्री हरि ।।

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है।लोक केसरी इसकी पुष्टि नहीं करता है।संबंधित जानकारो से सलाह कर ही अमल में लाये।