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गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में हुआ संगोष्ठी का आयोजन

ऋषिकेश दिनांक 20 जनवरी 2021_
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के उपलक्ष में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय था गुरु गोबिन्द सिंह जी का भारतीय संस्कृति के संरक्षण में योगदान।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक मध्य प्रदेश के कुलपति प्रोफ़ेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा व्याख्यान दिया गया।कुलपति ने कहा गुरु गोबिन्द सिंह का सारा जीवन संघर्ष तपस्या देश प्रेम और राष्ट्रपिता के लिए था और उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया ।जहाँ आवश्यकता पड़ी वहाँ उन्होंने अपने पुत्र को भी बलिदान करने में संकोच नहीं किया।

ऐसे महापुरुष का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा दायक है। और हम सभी को उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए।कार्यक्रम में वक्ता के रूप में डॉक्टर रतनलाल कौशिक ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जन्म से ही विलक्षण थे और बाल्यकाल से ही उन्हें याद और साहस की भावना थी। उन्होंने सिखों के दसवें गुरु के रूप में जो महत्वपूर्ण कार्य किए वे हम सबके लिए पूजनीय हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफ़ेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा गुरु गोबिन्द सिंह जी ने कहा कि यदि शास्त्र की रक्षा करनी है तो शास्त्रों चलाना भी आना चाहिए और उनकी शिक्षाओं में एक महत्वपूर्ण शिक्षा घुड़सवारी करना भी है। उन्होंने कई युद्धों के माध्यम से भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा की ओर से सिख पंत की स्थापना की।उनका पराक्रम और साहस वास्तव में अद्भुत है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी की शिक्षाएं अपना वादा सताया पूरा करो अपनी कमाई का दसवाँ हिस्सा दान करो ईमानदारी से जीवन व्यापन करो किसी की निंदा न करो आदि आज भी हम सबके लिए अनुकरणीय है ।और हम सभी को इनका पालन करना चाहिए। इस अवसर पर डॉक्टर प्रकाश पंत डॉक्टर धीरज शुक्ला अनुपम कोठारी आदि के साथ साथ बहुत से छात्र छात्राएँ एवं अध्यापक उपस्थित रहे।