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रामदेव का आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर हमला जारी है

रतनमणी डोभाल

सत्ता संरक्षण में रामदेव का आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर हमला जारी है। एलोपैथी चिकित्सा को स्टुपिड साइंस, मेडिकल टेरेरिज्म , बुद्धिहीन विज्ञान जैसे नाम दिए जा रहे हैं। आज लड़ाई इस बात की है कि कौन टीका बनाता है। क्या हम भारत में टीके बनाएंगे या रामदेव की कोरोनिल पर चिपके रहेंगे और फाइजर,मॉडर्ना तथा एक्स्ट्राजेनेका को दुनिया के कोविड -19 टीका बाजार पर राज करने देंगे।

रामदेव का राष्ट्रवाद का अर्थ यही है कि आधुनिक दवाओं के मलाईदार बाजार को बड़ी बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के हवाले कर दिया जाए और घरेलू दवा बाजार पर अपना इजारा कायम हो जाए। तभी तो वह कहता है कि भारतीयों को ऑक्सीजन की क्या जरूरत है उनके लिए अनुलोम विलोम ही सीखना काफी है।

एलोपैथी दवाओं पर रामदेव का हमला उन डाक्टरों तथा स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला है जो बहुत ही कठिन परिस्थितियों में कोविड-19 की बीमारी के खिलाफ लंबे अरसे से लड़ाई लड़ रहे हैं । वह हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और उनकी कुर्बानियों का मजाक उड़ा रहा है।फेफड़ों में संक्रमण के गंभीर मरीजों का हांफ हांफ कर सांस लेने की नकल कर मजाक उड़ा रहा है।

रामदेव का आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बुद्धिहीन विज्ञान कहना मार्केटिंग का फंडा है।बस प्रचार होना चाहिए कैसा भी हो अच्छा है। बुद्धिहीन विज्ञान बताकर एलोपैथी पर हमला किया जा रहा है। उसने झूठा दावा किया है कि कोविड-19 टीके की दोनों खुराक लगाने के बाद भी हजारों डॉक्टरों की मौत हुई है। वह विवाद इसलिए खड़ा करता है ताकि वह जो भी बेच रहा है उसे मुफ्त का प्रचार मिलता रहे।रामदेव ब्रांड के बल पर ही पतंजलि के उत्पाद बिकते हैं। जिनमें नूडल्स से लेकर आयुर्वेदिक दवाएं तक शामिल हैं।

उसका प्रचार ही है जिसने पतंजलि के साम्राज्य को देश के सबसे बड़े तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता माल (एफएमसीजी) ग्रुपों में से एक बना दिया है। रामदेव का पतंजलि के लिए हर एक विवाद कारोबार में मददगार है। उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उनके गलत सलत प्रचार से लोगों की जान भी जा सकती है, उसकी पीठ पर सरकार का हाथ है।

रामदेव बाबा गिरी से अपना कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने वाला पहला व अकेला बाबा नहीं है। धर्म का धंधा जमाने और चलाने वाले दूसरे भी कई और बाबा रहे हैं। श्रीश्री रविशंकर से लेकर अनेक नाम लिए जा सकते हैं। श्रीश्री अपने कारोबार से 50 करोड़ का राजस्व सालाना बटोरता है। रामदेव के पतंजलि ग्रुप के उत्पादों का लगभग 25.000 करोड़ सालाना का कारोबार है।

गौरतलब है कि रामदेव का यात्रा पथ तेजी से आगे बढ़ाने में पहले कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर जमीनें देकर उसकी मदद की और बाद में भाजपा ने जिसने उसे ज्यादा जमीनें तो दी हीं सरकार के आयुष तथा अन्य मंत्रालयों के जरिए उसके विभिन्न कारोबारों में भरपूर मदद की। भाजपा की हरियाणा सरकार रामदेव से करोड़ों की कोरोनिल किट खरीद कर कोरोना मरीजों को बांट रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने भी करोड़ों की कोरोनिल किट ख़रीदीं हैं।

रामदेव ने अपना कारोबारी साम्राज्य सरकारों के ही संरक्षण में फैलाया है और वह अपने योग शिविरों में पहुंचने वाले एक प्रकार से बंधुआ श्रोताओं के जरिए मुफ्त विज्ञापन और टीवी पर प्रस्तुतियों के सहारे खड़ा किया है। उसका अपने साम्राज्य के लिए अपने उत्पादों को एलोपैथी दवाओं से श्रेष्ठतम दवाओं के रूप में प्रचारित करना जरूरी है।

रामदेव अनेक बीमारियों के इलाज के रूप में चमत्कारी दवाओं का जड़ी बूटियों के उत्पादों के साथ योग को जोड़कर उपचार के रूप में प्रचारित करता है। उसने ऐसे तरीके बताने का भी विज्ञापन किया था जिनका अनुसरण करने से औरतें गौरे पुत्रों को जन्म दे सकती हैं। ऐसा दावा आर एस एस की शाखा आरोग्य भारती अपने फर्जी गर्भ संस्कार कार्यक्रम के जरिए कर दिखाने की करती है।

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