आज कंकण सूर्य ग्रहण ,भारत में लद्दाख, अरूणाचल प्रदेश में अल्पग्रास दिखाई देगा
साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार को लगने वाला है। ग्रहण का समय दोपहर एक बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम छह बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण देश के सिर्फ अरुणाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। बाकी किसी भी राज्य में इस ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा।
विज्ञान के अनुसार चंद्रमा के पृथ्वी व सूर्य के बीच से गुजरने के दौरान सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य व पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आ जाने के कारण ‘ कुछ समय के लिए चंद्रमा के पीछे सूर्य का ‘ बिंब ढ़कता है। इस खगोलीय घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। समुद्र मंथन और भगवान विष्णु से जुडी है कहानी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण अशुभ होता है। इस दौरान सूर्य डीकेएस पीड़ित इकयूक जाता है।
सूर्य ग्रहण से जुड़ी कुछ धार्मिक कथा के अनुसार स दौरान राहु और केतु सूर्य को पकड़ लेते हैं। इसके पीछे समुद्र मंथन और भगवान विष्णु द्वारा देवताओं । को अमृतपान कराने से जुड़ी कहानी है।
भगवान ने अमृत पीने वाले दानव का सिर काटा ‘ मान्यता अनुसार जब देव दानवों मंधन के समुद्र मंथन से अमृत निकला तो दोनों के बीच अमृत पीने को लेकर विवाद हो गया। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर देवों व दानवों सूर्य चंद्र को अलग-अलग बैठा दिया। देवों की पंक्ति में बैठे चंद्रमा व सूर्य ने देखा कि एक दानव अपनी पंक्ति छोड़कर देवों की पंक्ति में बैठ गया है।उन्होंने इसकी जानकारी दी। लेकिन इस बीच देवों को अमृत पिलाते विष्णु उस दानव को अमृत दे चुके थे। अमृत उसके गले से नीचे उतरता, इसके पहले ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। लेकिन अमृत पी लेने के कारण उसकी मौत नहीं हो सकी।उसका सिर राहु बना तो धड़ केतु बन गया। घटना के बाद से राहु और केतु ने सूर्य व चंद्रमा का अपना शत्रु मान लिया। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और अमावस्या के दिन सूर्य को खाने की कोशिश करते है। इसमें सफल नहीं होने पर निगलने की कोशिश करते हैं। इसी घटना को ग्रहण कहते हैं। जब राहु और केतु सूर्य को खाने या निगलने की कोशिश करते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है।
सूर्य ग्रहण लगाने के 12 घंटे पहले उसका सूतक काल लग जाता है। ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। इस दौरान राहु व केतु कमजोर भी पड़ जाते हैं। इसलिए सूतक काल में शुभ कायों को करने की मनाही रहती है।